शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

शिवस्वरोदय – 56

शिवस्वरोदय 56

-आचार्य परशुराम राय

पिछले अंक में वर्षफल पर विचार करने के लिए शिवस्वरोदय में दी गयी विधियों पर चर्चा की गयी थी। इस विषय पर कुल चौदह श्लोक मिलते हैं, जिनमें से सात श्लोकों पर पिछले अंक में चर्चा हो चुकी है। शेष सात श्लोकों पर चर्चा यहाँ प्रस्तुत है।

यहाँ पुनः यह याद दिलाना आवश्यक है कि भारतीय उपमहाद्वीप में सभी राज्यों में, कुछ राज्यों को छोड़कर, वर्ष का प्रारम्भ चैत्र माह के शुक्लपक्ष के प्रथम दिन से प्रारम्भ होता है। इसे पूरे देश में भिन्न-भिन्न नामों से जानते हैं- वर्ष-प्रतिपदा, गुडीपरवा, उगादि आदि। यह भी याद रखना आवश्यक है कि शुक्लपक्ष में प्रथम तीन दिनतक प्रातःकाल चन्द्रस्वर प्रवाहित होता है। इसलिए इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय के समय या अन्य प्रान्तों में जहाँ नववर्ष जिस दिन प्रारम्भ होता है, उस दिन कौन सा पक्ष, कौन सी तिथि है और उसके अनुसार कौन सा स्वर चलना चाहिए, इसका निर्णयकर अपने स्वर की परीक्षा करके स्वर में उदित तत्त्व के अनुसार वर्षफल का कथन करना चाहिए। सूर्य का मेषराशि में प्रवेश-काल को भी कहीं-कहीं वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है। अतः उसके अनुसार वर्षफल समझने की विधि भी बताई गयी है।

अतिवृष्टि: सुभिक्षं स्यादारोग्यं सौख्यमेव च।

बहुशस्या तथा पृथ्वी आपस्तत्वं वहेद्यदि।।308।।

भावार्थ – यदि स्वर (चन्द्र स्वर) में जल तत्त्व प्रवाहित हो, तो अच्छी वर्षा, अच्छी फसल, सुख-समृद्धि और शान्ति के संकेत समझना चाहिए।

English Translation – If there is presence of Jala Tattva in the breath (left nostril) at the time of sun-rise, good rain, crops, prosperity and peace should be predicted.

दुर्भिक्षं राष्ट्रभंग: स्यादुत्पत्तिश्च विनश्यति।

अल्पादल्पतरा वृष्टिरग्नितत्वं वहेद्यदि।।309।।

भावार्थ – यदि अग्नितत्त्व प्रवाहित हो, तो दुर्भिक्ष, युद्ध, बहुत मामूली वर्षा आदि की सम्भावना समझनी चाहिए।

English Translation – If Agni Tattva is active in the breath, drought, war least rain etc. should be predicted.

उत्पातोपद्रवा भीतिरल्पा वृष्टिस्युरितय:।

मेषसंक्रांति वेलायां वायुतत्वं वहेद्यदि।।310।।

भावार्थ – मेष संक्रान्ति के समय यदि स्वर में वायु तत्त्व के प्रवाहित होनेपर अनेक प्रकार के उत्पात, उपद्रव, भय, अल्प वृष्टि आदि की आशंका समझनी चाहिए।

English Translation – At the time of transition of the sun into the Aries, presence of Vayu Tattva in the breath indicates different types of disturbances, fear, less rain etc.

यहाँ से मेष संक्रान्ति के समय स्वर और उसमें सक्रिय तत्त्व के अनुसार वर्षफल कथन का विधान किया गया है।

मेषसंक्रांति वेलायां व्योमतत्वं वहेद्यदि।

तत्रापि शून्यता ज्ञेयास्यादीनां सुखस्य च।।311।।

भावार्थ – मेष संक्रान्ति के समय यदि स्वर में आकाश तत्त्व प्रवाहित हो, तो सुख-सम्पन्नता का सर्वथा अभाव समझना चाहिए।

English Translation – If Akash Tattva is present in the breath at the time of solar transition in the Aries, absence of happiness in all respect is witnessed.

पूर्णप्रवेशने श्वासे शस्यं तत्वेन सिद्धयति।

सूर्यचन्द्रेऽन्यथाभूते संग्रह: सर्वसिद्धिद:।।312।।

भावार्थ – स्वर का पूर्ण रूप से प्रवाह और उसमें उचित तत्त्व की उपस्थिति सुख-सम्पन्नता के द्योतक हैं। जब सूर्य-स्वर और चन्द्र स्वर बारी-बारी से प्रवाहित हों, तो उत्तम फसल का संकेत समझना चाहिए।

English Translation - Presence of appropriate Tattva in the free flow of breath indicates happiness and prosperity. Flow of breath in the right nostril and left nostril alternately indicates good crops.

विषमे वह्नितत्वं स्याज्ज्ञायते केवलं नभ:।

तत्कुर्याद्वस्तु संग्राहोब्दिमासे च महर्घता।।313।।

भावार्थ – यदि सूर्य स्वर में अग्नि तत्त्व या केवल आकाश तत्त्व प्रवाहित हो, तो वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोत्तरी की आशंका होती है और इसलिए समय से अनाज आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

English Translation – Presence of Agni Tattva or Akash Tattva in the right nostril breath indicates a good price hike of the commodities and therefore people should procure them in advance.

रवौसंक्रमते नाड़ी चन्द्रमन्ते प्रसर्पिता।

वानिले वह्नियोगेन रौरवं जगतीतले।।314।।

भावार्थ – यदि मेष संक्रान्ति रात में होती है तथा उसके अगले प्रातःकाल में सूर्य स्वर में अग्नि तत्त्व, वायु तत्त्व अथवा आकाश तत्त्व का प्रवाह हो, तो संसार में रौरव नरक के समान दुख के आने की आशंका रहती है।

English Translation – If solar movement to the Aries appears in the night and in the next morning at the time of sunrise Agni Tattva, Vayu Tattva or Akash Tattva is present in the right nostril, miseries like hell are likely to be witnessed during the year.

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